जौनपुर: जौनपुर की शिबि शाहू और उनकी टीम की कहानी कुछ अलग है. कभी घर से टिफिन सर्विस चलाने वाली शिबि ने अब ‘शक्ति रसोई केंद्र’ के जरिए अपनी जिंदगी ही नहीं, बल्कि कई महिलाओं की तकदीर भी बदल दी है. राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) की मदद से शुरू हुई यह पहल अब महीने के लाखों रुपए कमा रही है और महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है.
शिबि ने शुरुआत में 10 महिलाओं का समूह बनाया और जौनपुर कलेक्ट्रेट परिसर में ‘शक्ति रसोई’ की नींव रखी. सरकारी मदद और अपनी मेहनत के दम पर वे अब रोजाना स्वादिष्ट और शुद्ध खाना बना रही हैं, जो लोगों को बहुत पसंद आ रहा है. शिबि कहती हैं कि पहले तो रोजमर्रा के खर्च भी मुश्किल से चलते थे, लेकिन अब हम लाखों की कमाई कर रहे हैं और परिवार का भला कर पा रहे हैं.
समाज में मिली पहचान
शक्ति रसोई में काम करने वाली किरण बताती हैं कि पहले वे अकेले काम करती थीं, लेकिन अब समूह में काम करने से न केवल उनकी आमदनी बढ़ी है, बल्कि जीवन में स्थिरता और आत्मविश्वास भी आया है. प्रेरणा नाम की एक और महिला ने बताया कि अब केवल पैसा नहीं, बल्कि समाज में पहचान भी मिली है. लोग हमारे काम की तारीफ करते हैं, जिससे हमें बहुत खुशी मिलती है.
यह रसोई केवल खाना बनाने का काम नहीं, बल्कि महिलाओं को एक-दूसरे का सहारा बनकर आगे बढ़ने की ताकत दे रही है. यह साबित करता है कि जब सही दिशा और सरकारी मदद मिले, तो कोई भी महिला अपने जीवन को बेहतर बना सकती है.
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की भूमिका
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की इस पहल ने जौनपुर की महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से मजबूत किया है, बल्कि उन्हें सम्मान और पहचान भी दिलाई है. आज ये महिलाएं सिर्फ मदद की मोहताज नहीं, बल्कि खुद दूसरों की मददगार भी बन चुकी हैं. शक्ति रसोई का यह मॉडल अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन सकता है, जो बताता है कि महिलाएं मिलकर बड़े बदलाव ला सकती हैं.